जनरल ओमप्रकाश, क्वार्टर मास्टर जनरल व कर्नल ऑफ दी कुमाऊं व नागा रेजिमेंट मुख्यातिथि के रूप में रेवाड़ी पधारे रहे हैं।
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युद्द शाखा के पास वैसे तो लंबा-चौड़ा नेटवर्क था पर सेना की नियम प्रक्रिया आदि के बारे में यह तंत्र बहुत कम जानकारी रखता था. सेना डाक संचालन में कई व्यावहारिक दिक्कतों को देखते हुए सेना मुख्यालय में क्वार्टर मास्टर जनरल ब्रांच के अधीन मार्च 1941 में एक डाक सेक्शन बनाया गया।
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कोर के भीतर से कर्नल कमांडेंट के नियुक्ति की नीति 1991 में बदल दी गयी और सेना मुख्यालय ने यह फैसला लिया िक क्वार्टर मास्टर जनरल ही सेना डाक सेवा कोर का कर्नल कमांडेट होगा।इसके तहत ले. जनरल शेर अमीर सिंह 1 अक्तूबर 1991 को कोर के कर्नल कमांडेंट बने.सेना डाक सेवा कोर का निदेशक क्वार्टर मास्टर जनरल के अधीन सेना तथा वायुसेना अध्यक्ष का डाक मामलों के सलाहकार की भूमिका में भी होता है.कमांड और कोर मुख्यालयों पर उसके प्रतिनिधि अपने-अपने दायरे में इसी प्रकार की भूमिका निभाते हैं.
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कोर के भीतर से कर्नल कमांडेंट के नियुक्ति की नीति 1991 में बदल दी गयी और सेना मुख्यालय ने यह फैसला लिया िक क्वार्टर मास्टर जनरल ही सेना डाक सेवा कोर का कर्नल कमांडेट होगा।इसके तहत ले. जनरल शेर अमीर सिंह 1 अक्तूबर 1991 को कोर के कर्नल कमांडेंट बने.सेना डाक सेवा कोर का निदेशक क्वार्टर मास्टर जनरल के अधीन सेना तथा वायुसेना अध्यक्ष का डाक मामलों के सलाहकार की भूमिका में भी होता है.कमांड और कोर मुख्यालयों पर उसके प्रतिनिधि अपने-अपने दायरे में इसी प्रकार की भूमिका निभाते हैं.